भारतीय दण्ड संहिता: 15 छिपे रहस्यमय, अज्ञात और आश्चर्यजनक तथ्य

धारा 497: पुरुषों के ख़िलवाद का अधिकार: यह धारा महिलाओं को पुरुषों के ख़िलवाद के ख़िलाफ अदालत में याचिका दायर करने का अधिकार प्रदान करती है, जिसका उपयोग किसी भी पुरुष के ख़िलवाद के मामले में किया जा सकता है। 

धारा 304B: आत्महत्या या हत्या? धारा 304B के तहत, सती हत्या को भी आत्महत्या माना जाता है और इस पर दंडनीयता लगाई जा सकती है। 

धारा 268: नफरत से जुड़ी सजा: यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना से कुछ करने का प्रयास करता है, तो धारा 268 के तहत उसे सजा हो सकती है। 

धारा 497A: अवैध संबंध का दुरुपयोग: इस धारा के तहत, पुरुष अवैध संबंध का दुरुपयोग करने पर दो वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। 

धारा 149: समूह के सदस्य की जिम्मेदारी: धारा 149 के तहत, समूह के सदस्य जब किसी अपराध में शामिल होते हैं, तो उन्हें उस अपराध के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है। 

धारा 195A: कोर्ट का दिशा-निर्देश: धारा 195A के तहत, किसी व्यक्ति द्वारा किसी अपराध की रिपोर्ट करने के बाद उसे उसी कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जा सकते हैं। 

धारा 304A: जरमनी के मूल सिद्धांतों का पालन: धारा 304A के तहत, लापरवाही से होने वाली मौत के मामलों में आपराधिक अजानी मानी जा सकती है, जिससे दोषियों को सजा से बचाया जा सकता है। 

धारा 149A: अपराधिक संगठन की सजा: धारा 149A के तहत, अपराधिक संगठन के सदस्यों को कठिन सजा दी जा सकती है, जिससे उनके अपराधों का फैलाव कम हो सकता है। 

धारा 364A: शिकार की अपराधिकता: यह धारा शिकारी जानवरों की अपराधिकता के ख़िलाफ सख़्त कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करती है, जिससे वन्यजीवों की रक्षा की जा सकती है। 

धारा 438: अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में जामीन: धारा 438 के तहत, आपराधिक शिकायत के मामलों में अदालत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करती है, जिससे व्यक्तिगत अधिकार की सुरक्षा होती है। 

धारा 311: गवाह की नियुक्ति: धारा 311 के अनुसार, अदालत किसी व्यक्ति को गवाह बनाने का आदेश जारी कर सकती है, जो विशेष परिस्थितियों में नियुक्त होता है। 

धारा 451: आपातकालीन दरख़ास्त: धारा 451 के तहत, अदालत किसी आपातकालीन दरख़ास्त के आदेश का पालन करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है, जो आपातकाल में आवश्यक होता है। 

धारा 144A: विभागीय उपाधीकरण: धारा 144A के तहत, विभागीय उपाधीकरण का आदान-प्रदान करने पर सजा हो सकती है, जिससे आधिकारिक प्रक्रिया की सुरक्षा होती है। 

धारा 374: आदान-प्रदान के अधिकार में सीमा: धारा 374 के तहत, आदान-प्रदान के अधिकार की सीमा को परिभाषित किया गया है, जिससे इसके दुरुपयोग की संभावना कम होती है। 

धारा 469A: छवि के ख़िलाफ आपराधिकता: धारा 469A के तहत, किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की छवि के ख़िलाफ आपराधिकता का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है, जिससे छवि की सुरक्षा में सख़्ती बढ़ती है।