सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार: कॉमन सिविल कोड के अंतर्गत, सभी धर्मों के लोगों को एक समान आधार पर अधिकार और विवाह, तलाक और संपत्ति के वित्तीय संरचना से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लिए जाते हैं।
राज्यों द्वारा नियंत्रित नहीं: कॉमन सिविल कोड अखिल भारतीय कानून होता है और राज्यों द्वारा नियंत्रित नहीं होता है।
समय-समय पर अद्यतन: कॉमन सिविल कोड को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है जिससे कि इसमें नवीनतम विवादों का समावेश किया जा सके।
संघीय और राज्य सरकारों के बीच साझा विभाजन: कॉमन सिविल कोड को संघीय और राज्य सरकारों के बीच साझा विभाजन किया जाता है।
समान अधिकार: कॉमन सिविल कोड के तहत, सभी लोगों को समान अधिकार और संरचनाएं मिलती हैं।
समानता: कॉमन सिविल कोड का लक्ष्य समानता को सुनिश्चित करना होता है जो समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार और संरचनाएं प्रदान करता है।
समान विवादों पर निर्णय: कॉमन सिविल कोड के अंतर्गत, सभी लोगों के लिए समान विवादों पर निर्णय लिया जाता है जैसे विवाह, तलाक, संपत्ति के वित्तीय संरचना आदि।
धार्मिक आधार के अभाव में निर्णय: कॉमन सिविल कोड के अंतर्गत, धार्मिक आधार पर विवादों के मामलों में निर्णय नहीं लिया जाता है।
संवेदनशील विषयों पर निर्णय: कॉमन सिविल कोड के अंतर्गत, संवेदनशील विषयों पर निर्णय लेने के लिए उचित सुनवाई और सुनिश्चित की गई प्रक्रिया होती है।
सुधार के लिए प्रोत्साहन: कॉमन सिविल कोड में सुधार की प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। यह लोगों को एक साथ रहने के लिए उचित वातावरण प्रदान करता है और संवैधानिक विधि को उन्नत करने में मदद करता है।