सुगम्य भारत अभियान…….भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, 2.21% आबादी यानी लगभग 26.8 मिलियन लोग विकलांग हैं। विकलांगता शारीरिक, मानसिक, या संवेदी हो सकती है। विकलांगता के कारण व्यक्ति को अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई हो सकती है।
सुगम्य भारत अभियान एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य विकलांगों के लिए एक सुलभ और समावेशी वातावरण बनाना है। इस अभियान के तहत, सरकारी और निजी संस्थानों को अपने भवन, परिवहन, और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रणाली को विकलांगों के अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सुगम्य भारत अभियान का अर्थ
“सुगम्य भारत अभियान” का अर्थ है एक ऐसा भारत जहां सभी लोग, चाहे उनकी शारीरिक या मानसिक स्थिति कुछ भी हो, समान अवसरों का आनंद ले सकें। यह अभियान विकलांगों को स्वतंत्र रूप से और आत्मनिर्भर रूप से जीने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अभियान की शुरुआत और उद्देश्य
“सुगम्य भारत अभियान” 3 दिसंबर, 2015 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य विकलांगों के लिए एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां वे बिना किसी बाधा के अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंच सकें।
अभियान के प्रमुख लक्ष्य
“सुगम्य भारत अभियान” के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
- सरकारी और निजी संस्थानों को अपने भवन, परिवहन, और आईटी प्रणाली को विकलांगों के अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- विकलांगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा के अवसरों को बढ़ावा देना।
- विकलांगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
सुगम्य भारत अभियान की आवश्यकता और महत्व
भारत में विकलांगों को अक्सर भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा के अवसरों तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
“सुगम्य भारत अभियान” विकलांगों को समान अवसर प्रदान करके सामाजिक न्याय और समावेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह अभियान विकलांगों को अपने जीवन में अधिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
“सुगम्य भारत अभियान” के तहत किए जा रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सरकारी भवन और परिवहन सुविधाओं को विकलांगों के लिए अनुकूल बनाना।
- विकलांगों के लिए विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शुरू करना।
- विकलांगों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना।
- विकलांगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाना।
“सुगम्य भारत अभियान” एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत को एक अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बनाने में मदद कर सकती है।
अपांगता की समस्या
अपांगता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक, मानसिक, या संवेदी चुनौती का सामना करना पड़ता है। अपांगता के कारण व्यक्ति को अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई हो सकती है।
अपांगता के प्रकार और कारण
अपांगता कई प्रकार की हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- शारीरिक अपांगता, जैसे कि पैरालिसिस, दृष्टिबाधितता, या श्रवणबाधितता।
- मानसिक अपांगता, जैसे कि बौद्धिक विकलांगता, मानसिक विकार, या विकासात्मक विकार।
- संवेदी अपांगता, जैसे कि बोलने में कठिनाई, या संज्ञानात्मक कठिनाई।
अपांगता के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जन्मजात विकार, जैसे कि अनुवांशिक विकार, या जन्म के समय चोट लगना।
- अधिग्रहित विकार, जैसे कि दुर्घटना, बीमारी, या संक्रमण।
अपांग व्यक्तियों की जीवन कठिनाइयाँ
अपांग व्यक्तियों को अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में अक्सर कठिनाई होती है। इन कठिनाइयों में शामिल हैं:
- आंदोलन में कठिनाई
- संचार में कठिनाई
- व्यवहार में कठिनाई
- शिक्षण और सीखने में कठिनाई
- रोजगार और सामाजिक समावेश में कठिनाई
समाज में अपांगता से जुड़ी मिथकों का खंडन
समाज में अपांगता से जुड़ी कई मिथक मौजूद हैं। इन मिथकों का खंडन करना आवश्यक है ताकि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर और सम्मान मिल सके।
कुछ सामान्य मिथकों में शामिल हैं:
- अपांग व्यक्ति कम बुद्धिमान होते हैं।
- अपांग व्यक्ति स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम नहीं होते हैं।
- अपांग व्यक्ति समाज के बोझ होते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अपांगता किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता, क्षमता, या मूल्य को नहीं निर्धारित करती है। अपांग व्यक्तियों को भी सम्मान और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।
अपांगता एक जटिल मुद्दा है जिसका कोई आसान समाधान नहीं है। हालांकि, अपांगता से जुड़ी जागरूकता और समझ को बढ़ाकर, हम समाज को अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण बना सकते हैं।
सुगमता की आवश्यकता
सुगमता का अर्थ है किसी वातावरण को ऐसे बनाना कि वह सभी लोगों के लिए सुलभ हो, चाहे उनकी शारीरिक या मानसिक स्थिति कुछ भी हो। यह समाज में समानता और समावेश को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
जब वातावरण सुगम होता है, तो विकलांग व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम होते हैं, जैसे कि स्कूल जाना, काम पर जाना, और सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करना। इससे उन्हें समाज में अधिक स्वतंत्र रूप से और आत्मनिर्भर रूप से भाग लेने में मदद मिलती है।
सुगमता विकलांग व्यक्तियों के समाज में योगदान को भी बढ़ावा देती है। जब विकलांग व्यक्ति अपने कौशल और प्रतिभाओं का उपयोग कर सकते हैं, तो वे समाज को समृद्ध कर सकते हैं।
इसलिए, सुगमता की आवश्यकता समाज में समानता और समावेश की आवश्यकता से उत्पन्न होती है।
विकल्प A. जीवन की सार्थकता और स्वतंत्रता का महत्व और C. अपांग व्यक्तियों का समाज में योगदान भी सुगमता की आवश्यकता के कारण हैं। हालांकि, ये कारण समाज में समानता और समावेश की आवश्यकता के रूप में सुगमता की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करते हैं।
“सुगम्य भारत अभियान” की पहल
“सुगम्य भारत अभियान” का उद्देश्य विकलांगों के लिए एक सुलभ और समावेशी वातावरण बनाना है। इसके लिए, शिक्षा सेक्टर में सुधार और अपांग छात्रों के लिए उपाय करना आवश्यक है।
विकलांग छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए, “सुगम्य भारत अभियान” के तहत निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:
- सभी सरकारी स्कूलों को विकलांग छात्रों के लिए अनुकूल बनाया जा रहा है। इसमें रैंप, लिफ्ट, और अन्य सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
- विकलांग छात्रों के लिए विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
- विकलांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
इन उपायों से विकलांग छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिल रही है और वे अपनी क्षमता के अनुसार सीखने और विकसित होने में सक्षम हो रहे हैं।
विकल्प B. रोजगार और आवस्यक सुविधाओं की पहुँच में सुधार और C. जन-सामाजिक चेतना और मिथकों के खिलाफ अभियान भी “सुगम्य भारत अभियान” की पहलों में शामिल हैं। हालांकि, शिक्षा सेक्टर में सुधार और अपांग छात्रों के लिए उपाय करना इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
आवश्यकताओं की प्राथमिकता
सुगमता का अर्थ है किसी वातावरण को ऐसे बनाना कि वह सभी लोगों के लिए सुलभ हो, चाहे उनकी शारीरिक या मानसिक स्थिति कुछ भी हो। सार्वजनिक स्थल वे स्थान हैं जहां सभी लोगों को जाना होता है, जैसे कि स्कूल, अस्पताल, सरकारी कार्यालय, और मनोरंजन स्थल।
सार्वजनिक स्थलों में सुविधाओं की व्यापकता सुगमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। जब सार्वजनिक स्थल सुगम होते हैं, तो विकलांग व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम होते हैं, जैसे कि स्कूल जाना, इलाज कराना, सरकारी कार्यों को पूरा करना, और मनोरंजन का आनंद लेना। इससे उन्हें समाज में अधिक स्वतंत्र रूप से और आत्मनिर्भर रूप से भाग लेने में मदद मिलती है।
विकल्प A. सुगमता के लिए औद्योगिक सुविधाओं का विकास और C. तरीके और युक्तियाँ “सुगम्य भारत” के लक्ष्य प्राप्ति के लिए भी सुगमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, ये पहल सार्वजनिक स्थलों में सुविधाओं की व्यापकता के बिना अप्रभावी हो सकती हैं।
इसलिए, सार्वजनिक स्थलों में सुविधाओं की व्यापकता सुगमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
सामाजिक संवेदनशीलता और जागरूकता
सामाजिक संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने के लिए मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मीडिया विकलांगता के बारे में जानकारी और जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सकता है, जैसे कि समाचार रिपोर्टें, वृत्तचित्र, और विज्ञापन।
विशेष रूप से, मीडिया विकलांगता से जुड़ी मिथकों और भेदभाव को दूर करने में मदद कर सकता है। मीडिया विकलांग व्यक्तियों को सकारात्मक और सम्मानजनक तरीके से चित्रित करके, यह लोगों को विकलांगता को अधिक समझने और स्वीकार करने में मदद कर सकता है।
विकल्प B. सामुदायिक संगठनों का योगदान और सहयोग और C. सरकारी नीतियों में सुधार और जन-भागीदारी भी सामाजिक संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, मीडिया विकलांगता के बारे में जानकारी और जागरूकता फैलाने में सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
इसलिए, मीडिया की भूमिका और जागरूकता फैलाने के माध्यम सामाजिक संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
यहां कुछ विशिष्ट तरीके दिए गए हैं जिनसे मीडिया विकलांगता के बारे में जागरूकता बढ़ा सकता है:
- विकलांग व्यक्तियों और उनके परिवारों के साथ साक्षात्कार और कहानियां प्रकाशित करें।
- विकलांगता के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम और अभियान चलाएं।
- विकलांगता से जुड़ी मिथकों और भेदभाव को दूर करने के लिए सामग्री प्रकाशित करें।
इन उपायों से लोगों को विकलांगता के बारे में अधिक जानने और विकलांग व्यक्तियों के साथ अधिक सहानुभूति और समझ रखने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
“सुगम भारत अभियान” एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत को एक अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बनाने में मदद कर सकती है। हालांकि, इस अभियान को सफल होने के लिए, सभी स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता है।
सरकार, निजी क्षेत्र, और सामुदायिक संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि सभी लोगों के लिए एक सुलभ और समावेशी वातावरण बनाया जा सके।
यहां कुछ विशिष्ट तरीके दिए गए हैं जिनसे सभी स्तरों पर सहयोग सुगमता के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है:
- सरकार को उचित नीतियां और कानून बनाना चाहिए जो विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करें।
- निजी क्षेत्र को अपने व्यवसायों को विकलांग व्यक्तियों के लिए अनुकूल बनाना चाहिए।
- सामुदायिक संगठनों को विकलांग व्यक्तियों के लिए समर्थन और सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।
जब सभी पक्ष मिलकर काम करते हैं, तो हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग, चाहे उनकी शारीरिक या मानसिक स्थिति कुछ भी हो, समान अवसरों और सम्मान का आनंद ले सकें।
विकल्प A. सुगम्य भारत अभियान का महत्व और प्रभाव और B. समाज में सुगमता की संरचना में सहयोग की महत्वपूर्णता भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, ये निष्कर्ष C. भविष्य में समृद्धि और सामाजिक समानता की दिशा में मिली-भगती की आवश्यकता की आवश्यकता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
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