नया चुनाव विधेयक………नवीनतम समय में चर्चा का विषय बना हुआ है, ‘नया चुनाव विधेयक: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर केंद्र का क्या है प्लान?’ यह विधेयक संघ, राज्यों और केंद्र सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण विषय पर विचार करता है। हमारा उद्देश्य इस लेख में विधेयक के मुख्य प्रावधानों को गहराई से समझना और उनके साथ ही संबंधित पहलुओं को परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करना है.
चुनाव विधेयक के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है – चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर केंद्रीय सरकार का प्लान। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाना है ताकि नागरिकों को विश्वास हो सके कि चुनावी प्रक्रिया न्यायपूर्ण है और उनकी आवाज को सही रूप से सुना जाता है।
विधेयक में चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है:
- नामांकन और चयन प्रक्रिया: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए पहले एक नामांकन प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। इसमें उम्मीदवारों के आवेदन समीक्षा की जाएगी और उनकी योग्यता और क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा।
- चयन समिति का गठन: नामांकन प्रक्रिया के बाद, चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए एक चयन समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति उम्मीदवारों की सूची को समीक्षा करेगी और उनके आधार पर चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी।
- सार्वजनिकता और सहभागिता: विधेयक ने सार्वजनिकता और सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किया है। चयन प्रक्रिया में सार्वजनिक समूहों और सामाजिक संगठनों की भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है ताकि चुनाव आयुक्तों का चयन न्यायपूर्ण और पारदर्शी तरीके से हो सके।
चुनाव आयुक्त के नियुक्ति की पुरानी प्रक्रिया बहुत ही अजीब थी. चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी, लेकिन राष्ट्रपति को चुनाव आयुक्तों के नामों की सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा की जाती थी. प्रधानमंत्री चुनाव आयुक्तों के नामों की सिफारिश अपने मन से करता था, और राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की सिफारिश को मानना पड़ता था. इस तरह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार का बहुत अधिक हस्तक्षेप होता था.
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें उसने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक स्वतंत्र निकाय द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल हों. इस फैसले के बाद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और स्वतंत्र हो गई है.
अब चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक स्वतंत्र निकाय द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं. यह निकाय चुनाव आयुक्तों के नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करता है, और राष्ट्रपति को निकाय की सिफारिश को मानना पड़ता है. इस तरह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है.
भारत सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक नया विधेयक पेश किया है. इस विधेयक में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करने का प्रावधान है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. इस समिति में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को शामिल नहीं किया गया है.
विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया है. विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक से चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम किया जाएगा. विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में काम करने की जरूरत है और सरकार को चुनाव आयोग में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
विधेयक को संसद में पारित होने के लिए विपक्ष के समर्थन की जरूरत होगी. विपक्ष के समर्थन के बिना यह विधेयक पारित नहीं हो पाएगा.
यह विधेयक चुनाव आयोग में सरकार की बढ़ती हस्तक्षेप के एक नए अध्याय की शुरुआत है. यह देखना होगा कि विधेयक को संसद में पारित होने के बाद चुनाव आयोग पर इसका क्या असर होगा.
केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक नया विधेयक पेश किया है. इस विधेयक में सीजेआई को चयन समिति से बाहर कर दिया गया है. यह विधेयक विपक्षी दलों के विरोध का सामना कर रहा है, जो इसे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम करने की कोशिश के रूप में देखते हैं.
विधेयक के मुताबिक, सीईसी की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. इस समिति में सीजेआई को शामिल नहीं किया गया है.
वर्तमान में, सीईसी की नियुक्ति के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, सीजेआई और एक वरिष्ठ सिविल सेवक शामिल होते हैं.
विपक्षी दलों का कहना है कि सीजेआई को चयन समिति से बाहर करना चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम करने की कोशिश है. विपक्ष का कहना है कि सीजेआई देश के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और वे चुनाव आयोग की नियुक्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
विधेयक को संसद में पारित होने के लिए विपक्ष के समर्थन की जरूरत होगी. विपक्ष के समर्थन के बिना यह विधेयक पारित नहीं हो पाएगा.
यह विधेयक चुनाव आयोग में सरकार की बढ़ती हस्तक्षेप के एक नए अध्याय की शुरुआत है. यह देखना होगा कि विधेयक को संसद में पारित होने के बाद चुनाव आयोग पर इसका क्या असर होगा.
विधेयक के विरोध में विपक्षी दलों के कुछ तर्क
- विधेयक चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कम करेगा.
- विधेयक सरकार को चुनाव आयोग में हस्तक्षेप करने का अवसर देगा.
- विधेयक चुनावों की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा.
- विधेयक लोकतंत्र के लिए एक खतरा है.
विधेयक के पक्ष में सरकार के कुछ तर्क
- विधेयक चुनाव आयोग को अधिक जवाबदेह बना देगा.
- विधेयक चुनावों की पारदर्शिता को बढ़ाएगा.
- विधेयक चुनावों की निष्पक्षता को सुनिश्चित करेगा.
- विधेयक लोकतंत्र को मजबूत करेगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पद की अवधि) विधेयक, 2023 के तहत, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक नई प्रक्रिया का प्रावधान है. इस प्रक्रिया के तहत, प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की एक समिति को तीन चुनाव आयुक्तों की सिफारिश करने के लिए कहा जाएगा. समिति तीन नामों की सिफारिश करेगी, जिनमें से एक को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाएगा. अन्य दो चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा नियुक्त किया जाएगा.
चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 साल का होगा और वे सेवानिवृत्ति की आयु तक पद पर बने रहेंगे. उन्हें किसी भी कारण से हटाया नहीं जा सकता है, सिवाय इस मामले में कि वे किसी अपराध का दोषी पाए जाते हैं या वे अयोग्य पाए जाते हैं.
चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी अधिकार और शक्तियां दी जाएंगी. चुनाव आयोग के निर्णयों को अंतिम माना जाएगा और उन पर अपील नहीं की जा सकती है.
नए चुनाव विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाना है. यह विधेयक चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी हों.
विधेयक के भविष्य पर संभावनाएं
यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि विधेयक संसद में पारित होगा या नहीं. विपक्ष के विरोध के बावजूद, सरकार इस विधेयक को पारित करने के लिए दृढ़ है. यह देखना होगा कि विधेयक के भविष्य पर क्या होता है.
संसद के लोक सभा में विधेयक पेश करने का तरीका
भारत के संसद के लोक सभा में विधेयक पेश करने के लिए, आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
- एक विधेयक तैयार करें. विधेयक एक कानून का मसौदा है जो आप संसद में पेश करना चाहते हैं. विधेयक को स्पष्ट, संक्षिप्त और आसानी से समझने योग्य होना चाहिए.
- विधेयक को लोक सभा के महासचिव को जमा करें. विधेयक को जमा करने के लिए, आपको एक विधेयक जमा करने के लिए एक फॉर्म भरना होगा और विधेयक के दो प्रतियां जमा करनी होंगी.
- विधेयक को लोक सभा में पेश करें. विधेयक को लोक सभा में पेश करने के लिए, आपको एक दिन और समय निर्धारित करना होगा. विधेयक को पेश करने के लिए, आपको लोक सभा के अध्यक्ष को एक नोटिस देना होगा.
- विधेयक पर विचार और मतदान. लोक सभा में विधेयक पर विचार और मतदान किया जाएगा. विधेयक को पारित होने के लिए, लोक सभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत का समर्थन प्राप्त करना होगा.
- विधेयक को राज्य सभा को भेजें. यदि विधेयक लोक सभा में पारित हो जाता है, तो इसे राज्य सभा को भेजा जाएगा. राज्य सभा में भी विधेयक पर विचार और मतदान किया जाएगा. यदि राज्य सभा में भी विधेयक पारित हो जाता है, तो यह राष्ट्रपति के पास जाएगा.
- राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को मंजूरी देना. राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं या इसे अस्वीकृत कर सकते हैं. यदि राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी देते हैं, तो यह एक कानून बन जाता है. यदि राष्ट्रपति विधेयक को अस्वीकृत करते हैं, तो यह कानून नहीं बनता है.
विधेयक पेश करने की प्रक्रिया एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया कई महीनों या सालों तक चल सकती है.
सरकारी योजनाओ के लिए प्रमुख वेबसाइट
सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी पाने के लिए कुछ प्रमुख वेबसाइट हैं:
- प्रधानमंत्री कार्यालय
- केंद्रीय मंत्रिमंडल
- मंत्रिमंडल सचिवालय
- भारत सरकार की वेबसाइट
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट
- वित्त मंत्रालय की वेबसाइट
- कृषि मंत्रालय की वेबसाइट
- शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट
- स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट
- पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट
इन वेबसाइटों पर आप सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी पा सकते हैं, जैसे कि योजना का नाम, योजना का उद्देश्य, योजना का लाभ, योजना के लिए पात्रता, योजना के लिए आवेदन कैसे करें, योजना के लिए संपर्क जानकारी आदि.
आप इन वेबसाइटों के अलावा सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के लिए अपने स्थानीय सरकारी कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं.
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